Wednesday, October 10, 2018

बाबा बालक नाथ जी की स्तुति

           जय बाबा बालक नाथ जी


आपका नाम है बालक, रिद्धि सिद्धि के तुम हो मालिक, अर्ज हमारी सुनो स्वामी, घट घट के तुम अंतर्यामी, तेरे दर्शन का हूँ प्यासा, पूर्ण कर दो मेरी आशा, कष्ट निवारो काज संवारो, भव सागर से पार उतारो, आया शरण तुम्हारी, बाबा जस जय पोणाहारी||
सुहाना वर्ण निराला, आसन सोना है म्रगशाला, सिंगी माला गल मे सोहे, भक्तजनो के जो मन मोहे, मस्तक तेज निराला दमके, सुंदर पद्म पैर मे चमके, अंग भभूत है खूब रमाई, जटा सुनहरी शीश सुहाई, रुप धरा अवतारी, बाबा जय जय पोणाहारी||
महिमा तेरी गाऊ, मन मंदिर में तुझे बसाऊ, पिता नारायण लक्षमी माता, यश तुम्हारा है जग गाता, नाम प्रभु का ध्याया तुमने, वर शंकर से पाया तुमने, अमर हुए अमर फल पाया, मोहमाया से प्यार ना किया, बने बाल ब्रम्हचारी, बाबा जय जय पोणाहारी||
बाबा जी बालक सिद्ध, कलियुग में हुए प्रसिद्ध, घर रत्नो के अलख जगाते, गऊओ के पाली कहलाते, एक रोज माया बरताई, देख रही थी रत्नो माई, कईं बरस की रोटिया सारी, लस्सी की भर दिनी क्यारी, रचया कोतुक भारी, बाबा जय जय पोणाहारी||
वचन को पूरा किया, रत्नो का लेखा दिया, महिमा सुन कर गौरख नाथ, आए लेकर चेले साथ, भूख लगी गौरख फरमाए, दुध साथ सब दियो रजाए, जबरन तुमको करने चेले, गौरख मंडली डाले घेरे, उड़ गए मार उडारी, बाबा जय जय पोणाहारी||
शाहतलाई गाँव, गौरख मंडली देख तमाम, धौलगिरी के पर्वत अंदर, सुंदर सुहाना रचया मंदिर, मंदिर मे है तुमरी ज्योति, सुबह शाम है आरती होती, तेरी महिमा लिखी ना जाती, पूजा पाठ होवे दिन राती, है सुदंर गुफा न्यारी, बाबा जय जय पोणाहारी||
शरण में जो जन आए, मन इच्छा सोई फल पाए, सात बार जो पड़े प्रेमी, श्रद्धा से होवे नित नेमी, सुबह शाम पाठ जो करे, सकल कष्ट बाबा जी हरे, दूख दरिद्र नेड़े ना आवे, ज्ञान ध्यान सभी सुख पावे, पर बन के प्रेम पुजारी, बाबा जय जय पोणाहारी||
जय बाबा बालक नाथ जी 

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